पुण्यमयी मम भारतमाता

Posted by Hindi2tech Monday, September 27, 2010


शान्तिमयी यस्या वर-वाणी,
असुर-मर्दिनी या शर्वाणी
श्री-स्वरूपिणी या कल्याणी 
ज्ञान-शक्ति-सुखदा सुरधरणी

पुण्यमयी मम भारतमाता

7 comments

  1. अहा । महत् हर्षस्‍य विषय: यत् मम परमसुहृद मित्रं श्रीअमितवर्य: अस्माकं संस्‍कृतपरिवारस्‍य एकं अंगं भवितुं अंगीकृतवान् ।।

    अथ च इतोपि हर्षस्‍य विषय: यत् सर्वप्रथम: लेख: भारतमातु: कृते लिखित: तेन ।

    अमित जी
    भवत: स्‍वागतमस्ति
    धन्‍यवाद: च संस्‍कृतप्रसाराय नैजं दातुम् ।।

     
  2. प्रिय अमित जी
    आपको यहाँ देखकर इतनी प्रसन्‍नता हो रही है कि हम शब्‍दों में व्‍यक्‍त नहीं कर सकते हैं ।
    आज संस्‍कृत माँ को आप जैसे ही लोगों की आवश्‍यकता है ।
    इस पुण्‍यकार्य में हमारा साथ देने के लिये आपका बहुत बहुत धन्‍यवाद ।।

    आप अपने संस्‍कृत के श्‍लोकों का यदि चाहें तो टिप्‍पणीबाक्‍स में हिन्‍दी अनुवाद भी कर सकते हैं । हिन्‍दी का प्रयोग लेख में वर्जित है पर टिप्‍पणी में हिन्‍दी में लिखा जा सकता है ।

    धन्‍यवाद

     
  3. अमित आनंद हुआ
    शमित पाखंड हुआ.
    आपके देश प्रेम का फिर
    उदघोष बुलंद हुआ.

     
  4. प्रिय अमित व मित्र प्रतुल आप दोनों का प्रयास सराहनीय है.

     
  5. शानदार ! जानदार ! बहुत सुन्दर.

     
  6. Mahak Says:
  7. मेरी ओर से भी भाई अमित जी को इस ब्लॉग से जुड़ने के लिए ढेरों बधाई एवं शुभकामनायें

    आनंद जी की ही तरह मेरी भी आपसे प्रार्थना है की कृपया अपनी पोस्ट का कमेन्ट बॉक्स में हिंदी अनुवाद भी प्रस्तुत करें

    भारत माता की जय

    महक

     
  8. आनंद गुरूजी मैं सिर्फ पूजा में प्रयोग होने वाले संस्कृत श्लोक ही जानता हूँ जो मैं समझता हूँ कि यहाँ बेवजह प्रकाशित नहीं होने चाहिए. इससे संस्कृत पर धर्म विशेष कि भाषा होने का जो ठप्पा लगा है वो दुसरे धर्मों के लोगों को संस्कृत के प्रचार प्रसार से दूर करेंगा.

     

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