अर्थम:- किसी-एक यक्ष को अपने कर्तव्यों की अवहेलना करने के कारण उसके स्वामी ने उसे उसके अधिकारों से एक वर्ष के लिए वंचित करने का श्राप दिया. उसे अपनी प्रियतमा से अलग हो रामगिरी वन में कुटिया बना कर रहना पड़ा.उसके लिए प्रियतमा से अलग रहना)अति दुखदाई था. जहाँ(रामगिरी वन)के पवित्र पानी में कभी जनक पुत्री सीता ने स्नान किया था. और जहाँ वृक्षों की छाया बहुत घनी थी..
कश्चित् कान्ताविरहगुरुणा स्वाधिकारात्प्रमत्त:
शापेनास्तड्ग्मितहिमा वर्षभोग्येण भर्तु: ।
यक्षश्चक्रे जनकतनयास्त्रानपुण्योदकेषु
स्त्रिग्धच्छायातरुषु वसतिं रामगिर्याश्रमेषु
अर्थम:-
किसी-एक यक्ष को अपने कर्तव्यों की अवहेलना करने के कारण उसके स्वामी ने उसे उसके अधिकारों से एक वर्ष के लिए वंचित करने का श्राप दिया. उसे अपनी प्रियतमा से अलग हो रामगिरी वन में कुटिया बना कर रहना पड़ा.उसके लिए प्रियतमा से अलग रहना)अति दुखदाई था.
जहाँ(रामगिरी वन)के पवित्र पानी में कभी जनक पुत्री सीता ने स्नान किया था. और जहाँ वृक्षों की छाया बहुत घनी थी..
Sharda ji... Bhavatyah prayasah ati uttamah asti... Bhavatyah mahat dhanyvaadah
Sharda ji... Bhavatyah prayasah ati uttamah asti... Bhavatyah mahat dhanyvaadah
यहाँ तो शारदा बहन ने हिंदी रूपांतरण कर दिया.... पर अगली पोस्ट में इन्तेज़ार करते हैं कि आप हिंदी रूपांतरण के साथ पोस्ट लिखोगे.
बाकि आपके साथ साथ शारदा जी को भी साधुवाद.
साधुवाद