आदरणीय संस्कृतजालपुटलेखका:
सस्कृतस्य जालजगति प्रसाराय भवतां सर्वेषां सहयोग: महद्भूत: धन्यवादार्ह: च
सम्प्रति जालजगति अपि संस्कृतस्य लेखा: दृष्न्ते प्रायश: इत्यपि महत् हर्षस्य विषय:
किन्तु चेदपि अस्माकं दायित्वं इदानीमपि समाप्तं नास्ति ।।
अस्माभि: इदानीमपि इतोपि प्रयास: करणीय: येन जालजगति संस्कृतस्य लेखा: प्रायश: आगच्छेयु:
सम्प्रति एका सूचना अस्ति
गत त्रि दिवसेभ्य: अहं ज्वरपीडितोस्मि अत: चिकित्साकार्यार्थं गच्छन् अस्मि
;मम आगमने सम्भवत: 7-8 दिवसा: लगिष्यन्ति ।
तावत् संस्कृतस्य लेखानां अभाव: न भवेत् एतदर्थं भवन्त: सर्वे प्रतिदिनं न्यूनातिन्यूनं एकं एकं लेखं प्रेषयन्तु ।।
अहं श्री प्रतुल महोदयाय धन्यवादं ददामि यत् स: प्रतिदिनं प्रतिद्वितीयदिनं वा एक: लेख: अवश्यं प्रेषयति
एवमेव भवन्त: सर्वेपि प्रतिदिनं एकं लेखं अवश्यमेव प्रेषयन्तु इति मे अभिलाषा, निवेदनं च ।।
संस्कृतकार्याय स्व अमूल्यसमयं दातुं भवतां सर्वेषां हार्दिक: धन्यवाद:
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भवदीय: - आनन्द:
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मित्र आनंद पाण्डेय
नमस्ते.
आपके निर्देश का पालन होगा. मैं हरिदास-संस्कृत ग्रन्थमाला से प्रति सप्ताह संस्कृत-हिंदी कोष "श्रीकोष" के कुछ शब्दों को दूँगा. पंडित केदारनाथ शर्मा जी ने श्रीकोश के प्रारम्भ में ही एक छंद दिया है :
हे छात्र जन ! यदि चाहते अनुवाद में उत्तीर्णता,
श्रीकोष से करिये तुरत व्युत्पत्ति की विस्तीर्णता.
श्रीकोष वालों से यथा दारिद्रय डरता है सदा,
'श्रीकोष' वालों से तथा अज्ञान भगता सर्वदा.
..... उपर्युक्त पद में पंडित जी का महती उद्देश्य निहित है. मेरा भी यही प्रयोजन है कि हम अधिक से अधिक संस्कृत के शब्दों को व्यवहार में लायें.
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प्रिय मित्र प्रतुल जी
संस्कृत के प्रसार में अनवरत योगदान हेतु आपका आभार
श्रीकोष के शब्दों की प्रस्तुति से जनसामान्य लाभान्वित होंगे अत: ये निर्णय धन्यवादार्ह है ।
कुछ दिनों के लिये बाहर जा रहा हूँ अत: श्रीकोष का तक्षण लाभ न उठा पाउँगा किन्तु आने के बाद अनवरत श्रीकोष के शब्दों का अध्ययन करूँगा ।
आशा है संस्कृत की अविरल धारा को आप यूँ ही गतिमान बनाये रखेंगे ।।
धन्यवाद
AADRNIYH SHREE UT PANDAY JI ....
AHM SANSKRT BHASAYAM NIPUDAM NASMI. ... IDM MM PRTHM PRAYSHAH ASTI. ANEN PURVAM KADACHIT ASYA MM PRATHMAH PRAYSHH ASTI.
BHAVAN SANSKRT BHASAYAH YOGDANM ABHUTPURVAM ASTI. IDM ABHINANDNIYA. ... SANSKRT SIKCHAYAM SARLIKRT PRAYASH ATIVA ABHINANDNIYA. AHM PRANAYMI.