पठामि संस्कृतं नित्यम, ददामि टिप्पणिम कदा. ध्यायामि संस्कृतं सम्यक, भयामि आनंदम गदा.
.पढ़ता हूँ संस्कृत को हमेशा, देता हूँ टिप्पणी कभी-कभी. स्वाध्याय करता हूँ संस्कृत का भली-भाँति, भय खाता हूँ आनंद के अनुशासन की गदा से. .
हा हा हा हाकाव्य के माध्यम से खिंचाई भी बढियॉं करते हैं आप ।।धन्यवाद
पठामि संस्कृतं नित्यम, ददामि टिप्पणिम कदा.
ध्यायामि संस्कृतं सम्यक, भयामि आनंदम गदा.
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पढ़ता हूँ संस्कृत को हमेशा,
देता हूँ टिप्पणी कभी-कभी.
स्वाध्याय करता हूँ संस्कृत का भली-भाँति,
भय खाता हूँ आनंद के अनुशासन की गदा से.
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हा हा हा हा
काव्य के माध्यम से खिंचाई भी बढियॉं करते हैं आप ।।
धन्यवाद